बिहार में इन दिनों पुल गिरने की घटना काफी तेजी से बढ़ रही है. दो हफ्ते के अंदर यहां एक-एक कर करीब 10 पुल नदी में समा गए हैं. इतने फूलों के गिरने पर अब राज्य सरकार पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं. बुधवार को भी राज्य में एक दिन के अंदर पांच पुल गिर गए थे, जिसके बाद अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है.
बिहार में पुल गिरने की घटनाओं के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसमें राज्य में हाल के वर्षों में हुए छोटे-बड़े पुलों के सरकारी निर्माण का स्ट्रक्चरल ऑडिट करने का आदेश देने के लिए गुहार लगाई गई है. शीर्ष अदालत में दायर याचिका में 2 सालों में दो बड़े पुल और छोटे मझौले पुलों के निर्माणाधीन, बनने के बाद गिरने, ढहने और बहने की घटनाएं सामने आई है. याचिका में आगे कहा गया है कि बिहार एक बाढ़ प्रभावित राज्य है, जहां 68800 वर्ग किलोमीटर यानी 73.6 फीसदी भाग भीषण बाढ़ की चपेट में रहता है. ऐसे में इतने पुलों के गिरने की घटनाएं हो रही है.
बिहार में पुलों की सुरक्षा के लिए समिति का गठन किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में याचिका को बृजेश सिंह की तरफ से दायर किया गया है. बृजेश सिंह ने याचिका में कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि मानवनिर्मित घटनाओं में कुछ लोग मारे गए और कई लोग घायल हो गए. सरकार की अनदेखी तथा ठेकेदारों और संबंधित एजेंसियों के भ्रष्ट गठजोड़ के कारण ऐसी घटनाएं और भी भविष्य में घटित हो सकती है. इसलिए बिहार को कानून या कार्यकारी आदेश के माध्यम से एक कुशल स्थाई निकाय बनाने के लिए शीर्ष अदालत की ओर से आदेश की मांग की है. इसमें उच्च स्तरीय विशेषज्ञ शामिल होंगे, जो बिहार में सभी मौजूदा और निर्माणाधीन पुलों की निरंतर निगरानी करेंगे और साथ में मौजूद पुलों की स्थिति का डेटाबेस बनाएंगे.