बिहार में शिक्षा, रोजगार, स्थाई नौकरी और वेतन की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ कई प्रदर्शन होते है. इनमें से कई ऐसे प्रदर्शन होते हैं जो सालों से चले आ रहे होते हैं. इन प्रदर्शनों और मांगों को सरकार जब सिर्फ़ आश्वाशन देकर टाल देती है, तो प्रदर्शनकारी कुछ दिनों और महीनों के बाद फिरसे मांग लेकर पहुंचते हैं. लेकिन सोचिए जब कोई मांग सालों से की जा रही हो तो उस प्रदर्शन को सरकार क्या देती है.
लाठीचार्ज में कई पुलिस मित्र घायल
इन प्रदर्शनों को सरकार लाठियां परोसती है. जी हां, यही सच हैं. शुक्रवार को राजधानी पटना में स्थाई नियुक्ति और मानदेय नहीं मिलने पर ग्राम रक्षा दल सह पुलिस मित्रों ने जमकर विरोध किया. प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगों को पूरा करने के लिए भाजपा कार्यालय के बाहर गुहार लगानी की सोची, लेकिन उन्हें वहां पुलिस की लाठियां मिली.
दरअसल आज राज्य के अलग-अलग जिलों से हजारों पुलिस मित्र अपनी मांगो को लेकर डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा से मिलना चाहते थे, लेकिन पुलिस की ओर से उन्हें रोक दिया गया. पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच में प्रदर्शन रोकने को लेकर झड़प हो गई, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज का आदेश दे दिया. इस लाठीचार्ज में कई पुलिस मित्रों को गंभीर चोट आई है, कईयों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है.
स्थायी नौकरी और वेतन की मांग को लेकर ग्राम रक्षा दल का प्रदर्शन
भाजपा कार्यालय के बाहर पुलिस ने पुलिस मित्रों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा, जिसमें महिलाओं को भी बख्शा नहीं गया. इस लाठीचार्ज में एक महिला प्रदर्शनकारी बेहोश भी हो गई है.
मौके पर मौजूद ग्राम रक्षा दल सह पुलिस मित्रों ने बताया कि पुलिस मित्र बनाए जाने के बाद से उन्हें मानदेय नहीं मिला है और ना ही उनकी बहाली को स्थाई किया गया है. साल 2012 में ग्राम रक्षा दल नौकरी स्थाई करने और वेतन की मांग को लेकर पुलिस मित्रों ने प्रदर्शन किया है. प्रदर्शनकारियों ने बताया कि उन्होंने पहले भी अपने मांगों को लेकर सरकार से बातचीत की और उन्हें आश्वासन भी दिया गया, लेकिन आज तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया. लाठीचार्ज के बाद ग्राम रक्षा दल के प्रदर्शनकारी गर्दनीबाग के धरना स्थल पर धरना देने के लिए पहुंचे हैं.