दिल्ली में आयोजित इंडिया की बैठक में झारखंड के सीएम आज शामिल नहीं हो पाए. झारखंड की सत्ताधारी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा भी इंडिया गठबंधन के साथ अगले साल चुनाव में भाजपा के खिलाफ मजबूती से खड़ी है. लेकिन इंडी गठबंधन की चौथी बैठक के लिए सीएम सोरेन दिल्ली नहीं पहुंचे.
इंडी गठबंधन की चौथी बैठक में शामिल होने के लिए सोमवार से ही पार्टियों के प्रमुख नेता, मंत्री, मुख्यमंत्री दिल्ली पहुंच रहे थे. सबकी निगाहें मुख्यमंत्रियों के काफिले पर लगी हुई थी लेकिन इन काफिलों में से सीएम सोरेन का काफिला शामिल नहीं था. झारखंड सीएम की जगह पर राजमहल के झामुमो सांसद विजय हांसदा, राज्यसभा सदस्य महुआ माजी भाग लेने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं.
सीट शेयरिंग पर पूरी पकड़
भले ही हेमंत सोरेन इस गठबंधन की बैठक में शारीरिक रूप से मौजूद न हो, लेकिन वह झारखंड से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चुनाव की रणनीति तय करने में दलों के साथ है मौजूद है. मंगलवार को दिल्ली में आयोजित हुए इस बैठक में नए फार्मूले से सीट बंटवारे पर निर्णय होना है. झारखंड में हेमंत सोरेन सबसे बड़े दल के रूप में भी दिनों-दिन उभर रहे है. इसलिए वह चाहेंगे की पूरी तरह से सीट बंटवारे का निर्णय झामुमो ही करे.
दरअसल झारखंड में फिलहाल शीतकालीन सत्र चल रहा है साथ ही सीएम आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार कार्यक्रम में भी काफी व्यस्त नजर आ रहे हैं. जिसकी वजह से वह बैठक में शामिल नहीं हो पाए.
पहले यह बैठक 6 दिसंबर को बुलाई गई थी जिसमें सीएम का जाना तय था लेकिन पांच राज्यों के चुनाव आने के बाद अंतिम समय में इसे टाल दिया गया था.
बाबूलाल मरांडी का सीएम पर तंज
इधर बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन के दिल्ली ना जाने पर तंज कसा है. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हेमंत सोरेन अगर इंडिया गठबंधन की मीटिंग में नहीं जाएंगे तो इस पर वह कुछ नहीं कर सकते. लेकिन उनके नहीं जाने से कहीं ना कहीं यह जरूर नजर आ रहा है कि उन्हें पता चल गया है कि विपक्ष का मोदी जी के सामने कोई वजूद नहीं है. शायद इसी वजह से वह इंडी गठबंधन की बैठक में शामिल होने के लिए नहीं पहुंचे.
मरांडी ने आगे कहा कि देश के तीन राज्यों के चुनाव परिणामों ने यह साबित कर दिया है कि विपक्ष का रोल देश की राजनीति में नहीं दिख रहा है. साथ ही बाबूलाल मरांडी ने ईडी दफ्तर के समन पर भी हेमंत सोरेन पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि समन को बार-बार नजरंदाज़ करने का गलत परिणाम आगे चलकर देखने को मिलेगा. राज्य के सबसे बड़े पद पर बैठे रहने के बावजूद भी अगर कानून का सम्मान नहीं करेंगे तो राज्य की जनता के बीच से इसका क्या संदेश जाएगा.