राजधानी पटना में बुधवार को जदयू दफ्तर के बाहर भारी हंगामा हुआ. जदयू दफ्तर के गेट पर प्रदर्शनकारियों ने हाथ में कटोरा लेकर जदयू से अपने समायोजन की मांग रखी है. कटोरे में चिकित्सकों ने इंजेक्शन और कुछ दवाइयां रखी थी.
ग्रामीण डॉक्टरों के इस प्रदर्शन की वजह से पार्टी दफ्तर के मेन गेट को काफी देर तक बंद रखना पड़ा. प्रदर्शन के दौरान ही प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा पार्टी कार्यालय पहुंचे, उनके पहुंचते ही ग्रामीण चिकित्सकों ने उनके सामने जमकर नारेबाजी शुरू कर दी. हंगामें की वजह से प्रदेश अध्यक्ष को मेन गेट को छोड़कर पीछे की गेट से कार्यालय में जाना पड़ा.
चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना काल में बिहार सरकार ने उनसे मदद ली थी, जिसके बाद सरकार उन्हें भूल गई. ग्रामीण चिकित्सकों ने कहा कि विभाग में उन्हें समायोजन दिया जाना चाहिए. चिकित्सकों ने कहा है कि उन्होंने 1 साल का सीएचएस कोर्स और 3 साल की सामुदायिक ट्रेनिंग ली है, इसलिए उन्हें स्वास्थ्य विभाग में नौकरी देनी चाहिए.
ग्रामीण चिकित्सकों ने अपनी बातों में आगे बताया कि 30 सालों से सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की राज्य में बहाली नहीं हुई है. ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की काफी डिमांड है. उन्होंने बताया कि वे लोग पहले भी डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से मुलाकात करने के लिए राजद कार्यालय गए थे, लेकिन उन्हें जगदानंद सिंह से आश्वासन दिया गया मगर फिर अभी तक इसपर कोई कार्रवाई नहीं की गई.
चिकित्सकों ने आगे कहा कि सीएम नीतीश कुमार अपने आप को प्रधानमंत्री बनते हुए देख रहे हैं. वह अपने सपनों पर खरा उतरने के लिए हर तरफ से प्रयास कर रहे हैं लेकिन हमारे सपनों का क्या? हम अपने सपनों के लिए भीख मांगते हुए उनके गेट के बाहर खड़े हैं. हम सभी सभी ग्रामीण डॉक्टर राज्य के 38 जिले से पहुंचे है.
हंगामा कर रहे चिकित्सकों को पुलिस ने बलपूर्वक कार्यालय के गेट के बाहर से हटा दिया. ग्रामीण चिकित्सकों ने सरकार से अपने समायोजन की बात पहले भी रखी है. अब ग्रामीण चकित्सक समायोजन को लेकर वह अब नीतीश कुमार की ओर ताक रहे हैं.