EVM और VVPAT स्लिप का नहीं होगा मिलान, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कि बैलेट पेपर से चुनाव की याचिकाएं

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार 26 अप्रैल को बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग वाली सभी याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि EVM से VVPAT स्लिप की 100 फीसदी मिलान नहीं किया जायेगा.

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EVM और VVPAT स्लिप

EVM और VVPAT स्लिप

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार 26 अप्रैल को बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग वाली सभी याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि EVM से VVPAT (EVM and VVPAT) स्लिप की 100 फीसदी मिलान नहीं किया जायेगा. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि EVM मशीनों द्वारा होने वाला चुनाव जारी रहेगा. 

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने सुनवाई के दौरान निर्देश देते हुए कहा कि “सिंबल लोडिंग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद सिंबल लोडिंग यूनिट को सील कर दिया जाए. साथ ही सिंबल लोडिंग यूनिट को 45 दिन तक सुरक्षित रखा जाए.

वहीं अपने दूसरे निर्देश में कोर्ट ने कहा कि “अगर किसी उम्मीदवार को रिजल्ट की पुनः जांच करनी हो तो वह सात दिनों के भीतर जाँच की मांग कर सकता है. उम्मीदवारों की मांग पर  इंजीनियरों की एक टीम माइक्रोकंट्रोलर EVM में बर्न मेमोरी की जांच करेगी. इसका खर्च उम्मीदवार को उठाना होगा. अगर जांच में पता चलता है कि EVM से छेड़छाड़ की गई है तो खर्च वापस कर दिया जाएगा.

इससे पहले 24 अप्रैल को हुई सुनावाई में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा था कि हम मेरिट पर दोबारा सुनवाई नहीं कर रहे हैं. हम कुछ निश्चित स्पष्टीकरण चाहते हैं. हमारे कुछ सवाल थे जिसके जवाब मिल गए हैं.

ADR ने दायर की थी याचिका

VVPAT पर्चियों की 100 फीसदी जाँच के लिए मार्च 2023 में एक्टिविस्ट अरुण कुमार अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया कि वोटर्स को VVPAT की पर्ची वास्तविक रूप (physically) से  जांच करने का मौका दिया जाना चाहिए. वोटर्स को खुद बैलट बॉक्स में पर्ची डालने की सुविधा मिलनी चाहिए. ताकि चुनाव में किसी तरह की गड़बड़ी की आशंका ना रहे.

इस केस में याचिकाकर्ताओं की तरफ से एडवोकेट प्रशांत भूषण, गोपाल शंकरनारायण और संजय हेगड़े ने पैरवी किया हैं. वहीं, चुनाव आयोग की ओर से एडवोकेट मनिंदर सिंह और केंद्र सरकार की ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें पेश की हैं.

वहीं 18 अप्रैल को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा था कि क्या वोटिंग के बाद वोटर्स को पर्ची नहीं दी जा सकती. इसपर चुनाव आयोग ने कहा कि इससे वोट की गोपनीयता नहीं रहेगी और बूथ के बाहर इसका दुरूपयोग भी हो सकता है. 

वहीं चुनाव आयोग (Election Commision) ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अब किसी तरह का शक समाप्त हो जाना चाहिए और पुराने सवाल समाप्त हो जाने चाहिए. वहीं आयोग ने कहा है कि भविष्य में होने वाले चुनाव में सुधार जारी रहेगा.

supreme court Election Commision EVM and VVPAT