कांग्रेस नेता राहुल गांधी को चुनाव के बीच झारखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. राहुल गांधी को चाईबासा के एमपी-एमएलए कोर्ट ने मानहानि केस में राहत दी है. हाईकोर्ट ने एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रहे राहुल गांधी के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगाई है और साथ ही शिकायतकर्ता को नोटिस जारी करते हुए दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है. राहुल गांधी के खिलाफ चाईबासा के एमपी-एमएलए कोर्ट ने 27 फरवरी को गैर जमानती वारंट जारी किया गया था. इसके खिलाफ राहुल गांधी ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल किया था.
यह पूरा मामला केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ जुड़ा हुआ है. दरअसल 2019 में एक चुनावी अभियान के दौरान राहुल गांधी ने अमित शाह के खिलाफ टिप्पणी कर दी थी. जिसके बाद चाईबासा के प्रताप कुमार ने एमपी-एमएलए कोर्ट में राहुल गांधी खिलाफ आपराधिक मुकदमा दायर किया था. याचिका में शिकायतकर्ता ने कहा था कि कांग्रेस नेता की टिप्पणी अपमानजनक थी और उन्होंने जान-बूझकर यह सभी बातें अमित शाह की छवि को खराब करने के लिए की थी.
राहुल गांधी ने 2018 में कांग्रेस के अधिवेशन में अमित शाह को लेकर कहा था कि कांग्रेस में कोई कातिल राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बन सकता. कांग्रेस के लोग किसी कातिल को राष्ट्रीय अध्यक्ष मंजूरी नहीं कर सकते, यह भाजपा में ही मुमकिन है.
इस पूरे मामले पर अप्रैल 2022 में राहुल गांधी के खिलाफ जमानती वारंटी जारी हुआ था. लेकिन राहुल गांधी कोर्ट में पेश नहीं हुए, तो अदालत में उनके खिलाफ गैर जमानती गिरफ्तारी वारंटी कर दिया. इसके बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जवाबी कार्रवाई करते हुए वकील के माध्यम से चाईबासा अदालत में याचिका दायर कर पेशी से छूट की मांग की थी. इस छूट को मांग को कोर्ट ने खारिज कर दिया था, इसके बाद कांग्रेस नेता ने झारखंड हाईकोर्ट का रुख किया था.
पहले भी मोदी सरनेम पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में सूरत की एक अदालत में राहुल गांधी को सजा सुनाई थी. इसके बाद राहुल गांधी को अपनी लोकसभा सदस्यता गवानी पड़ी थी. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगाई और फिर से राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता बहाल की गई थी.