पूर्व सीएम मांझी ने तेजस्वी यादव पर लगाए गंभीर आरोप, कहा- ट्रांसफर पोस्टिंग कर कमाए लाखों रुपए

बोधगया में पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने कहा कि तेजस्वी यादव बड़े पैमाने पर ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल करने जा रहे थे. इस खेल से पूर्व डिप्टी सीएम ने हजारों करोड़ रुपए कमाएं हैं.

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तेजस्वी यादव ने ट्रांसफर और पोस्टिंग

पूर्व सीएम मांझी ने तेजस्वी यादव पर लगाए गंभीर आरोप

बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर गंभीर आरोप लगाए हैं. मांझी ने तेजस्वी यादव पर घूस लेने का आरोप लगाया है. रविवार को बोधगया में एक कार्यक्रम के दौरान हम प्रमुख मांझी ने कहा कि पिछली महागठबंधन की सरकार में तेजस्वी यादव ने ट्रांसफर और पोस्टिंग के नाम पर 50-50 लाख रुपए लेकर करोड़ों रुपए कमाए हैं.  

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बोधगया में पूर्व सीएम ने कहा कि तेजस्वी यादव बड़े पैमाने पर ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल करने जा रहे थे, लेकिन उसके पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनका खेल होने से रोक लिया. हालांकि ट्रांसफर-पोस्टिंग तो नहीं हो पाई, लेकिन तेजस्वी यादव ने इससे हजारों करोड़ रुपये जरुर कमा लिए हैं.

17 महीने में लाखों नौकरियां बांटी

आगे जीतन राम मांझी ने कहा कि तेजस्वी यादव जो बिहार में शिक्षक बहाली को लेकर बातें करते हैं कि उन्होंने 17 महीने में लाखों नौकरियां बांटी हैं. तेजस्वी यादव जिस काम का क्रेडिट लेना चाहते हैं वह पूरी तरह से गलत है. तेजस्वी यादव की बातों में सिर्फ बेवकूफ लोग आ सकते हैं. लेकिन जो बुद्धिजीवी लोग हैं, वह सिर्फ हंसते हैं क्योंकि उपमुख्यमंत्री का कोई संवैधानिक पद नहीं होता. हालांकि यह अलग बात है कि उन्हें एक साथ पांच-पांच मंत्रालय संभालने के लिए सौंपा गया था. सरकार में मुख्यमंत्री की ही बात चलती है ना कि उपमुख्यमंत्री की चलती है. 

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जन विश्वास यात्रा पर भी जीतन राम मांझी भड़के हुए नजर आ रहे हैं. मांझी ने कहा कि पहली बार बजट सेशन को छोड़कर बिहार के प्रत्यक्ष नेता भाग खड़े हुए हैं. बजट सत्र इतना महत्वपूर्ण है फिर भी वह बाहर घूम रहे हैं और ऊल-जुलल बातें कर रहे हैं. बीते 45 साल से विधानसभा में मैंने ऐसा कभी नहीं देखा की प्रतिपक्ष नेता बजट छोड़कर घूम रहा हो. 

यह पूरा मामला साल 2023 के जून महीने का बताया जा रहा है. जून में करीब 1000 कर्मचारी और अधिकारियों का तबादला किया गया था. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में 480 अधिकारियों का तबादला हुआ था. आदेश पारित भी हो गया था, लेकिन 25 दिनों के अंदर सीएम ने इस आदेश को रद्द कर दिया था. स्वास्थ्य विभाग में भी 500 तबादलों को सीएम नीतीश कुमार ने रद्द किया था. जिस वक्त यह आदेश पारित हुआ था उस वक्त बिहार में महागठबंधन की सरकार थी, जिसमें सीएम नीतीश कुमार के साथ तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम के पद को संभाल रहे थे. इस सरकार में राजद नेता आलोक मेहता भूमि एवं राजस्व विभाग में मंत्री थे और स्वास्थ्य मंत्रालय डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के पास था. 

नेता प्रतिपक्ष पर लगे इस आरोपी की चर्चा अब बिहार में शुरू हो गई है. 

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