यूपी के हाथरस में सत्संग के दौरान भगदड़ मचने से 122 लोगों की मौत हो गई थी. इस हादसे ने देशभर के लोगों को झकझोर कर रख दिया था. हादसे के बाद जांच के लिए एसआईटी का गठन हुआ था, जिसने कल 900 पन्नों की अपनी रिपोर्ट सौंपी है. इस रिपोर्ट में एसआईटी ने कई अफसरों को दोषी ठहराया है, जिस पर सीएम योगी की भी गाज गिरी है.
एसआईटी में एडीजी जोन आगरा अनुपम कुलश्रेष्ठ और कमिश्नर अलीगढ़ चैत्रा बी की दो सदस्यीय कमेटी ने सत्संग हादसे की जांच रिपोर्ट गृह विभाग को सौंपी, जिसमें भीड़ प्रबंधन का पर्याप्त इंतजाम न होना बड़ी वजह बताया गया है. इसके लिए स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदार भी ठहराया गया है. एसआईटी ने इसमें आयोजकों की भी लापरवाही का जिक्र किया है. जांच के दौरान टीम ने लगभग 150 अधिकारियों, कर्मचारियों और पीड़ित परिवारों के बयानों को दर्ज किया था. इसके लिए एसआईटी टीम ने 6 दिनों का समय लिया. हालांकि सीएम ने सत्संग घटना के बाद 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट देने का निर्देश से दिया था.
एसआईटी की रिपोर्ट सामने के बाद सीएम योगी ने एक्शन लेते हुए एसडीएम, सीओ, इंस्पेक्टर समेत कुल छह अवसरों को आज सस्पेंड कर दिया है. सोमवार की रात सीएम को एसआईटी ने 900 पन्नों की रिपोर्ट पेश की थी, जिसके आधार पर एसडीम रविंद्र कुमार, सीओ आनंद कुमार, इंस्पेक्टर, तहसीलदार और चौकी इंचार्ज कचौर और पारा को सीएम ने सस्पेंड किया है.
एसआईटी ने रिपोर्ट में कहा है कि एसडीएम ने बिना कार्यक्रम स्थल का जायजा लिए कार्यक्रम की अनुमति दी. इसकी जानकारी सीनियर अफसर को भी नहीं थी. कार्यक्रम के आयोजकों ने भी तथ्यों को छुपा कर कार्यक्रम के लिए अनुमति ली. पुलिस के साथ भी कार्यक्रम के दौरान आयोजकों ने दुर्व्यवहार किया. घटना के बाद आयोजन घटनास्थल से भाग गए. हालांकि इस रिपोर्ट को अभी गोपनीय रखा गया है.
बता दें कि 2 जुलाई को यूपी के हाथरस के सिकंदराराऊ के फूलरई में सत्संग के दौरान भगदड़ मच गई थी. सत्संग कराने वाले भोले बाबा के चरण की रजक लेने के लिए लोगों के बीच भगदड़ मची थी, जिसमें 112 महिलाएं और 7 बच्चों समेत 122 लोगों की मौत हो गई थी.