झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा विधानसभा चुनाव से पहले ही गरमाया हुआ है. राज्य के चुनावी मुद्दों में इसे भी विपक्षी पार्टियां बढ़-चढ़कर शामिल कर रहीं हैं. बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे के खिलाफ राज्य सरकार अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. झारखंड हाईकोर्ट ने इस मामले की सच्चाई जानने के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने की बात कही थी, जिसका राज्य सरकार ने विरोध किया और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 8 नवंबर को सुनवाई करेगी.
सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच के अध्यक्ष जस्टिस सुधांशु धूलिया ने बांग्लादेशी घुसपैठ को एक गंभीर विषय बताया. उन्होंने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई से पहले फाइल को पढ़ना चाहते हैं. वहीं सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल हेमंत सोरेन सरकार के पक्ष में पेश हुए. उन्होंने कहा कि झारखंड कोई सीमावर्ती राज्य नहीं है, लेकिन राजनीतिक कारणों से ऐसा दिखाया जा रहा है, जैसे वहां बड़े पैमाने पर घुसपैठ हो रहा हो.
बता दें कि हाईकोर्ट के दो जजों की बेंच के सदस्य जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने इसपर उठाया कि हाईकोर्ट ने मामले में दखल क्यों दिया. जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि यह विषय राज्य सरकार के देखने का है हाईकोर्ट को दखल देने की कोई जरूरत नहीं थी.
दरअसल हाईकोर्ट ने डेनियल दानिश याचिकाकर्ता की जनहित याचिका को सुनते हुए झारखंड में घुसपैठ के मामले को गंभीर माना था. केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि संथाल परगना समेत झारखंड के कई इलाकों में आबादी का संतुलन बिगड़ा है. बांग्लादेशी घुसपैठ इसकी वजह हो सकती है. इसके साथ ही केंद्र ने बताया था कि कभी आदिवासी बहुल रहे इलाकों में मुस्लिम समुदायों के लोगों के बड़े पैमाने पर गिफ्ट डीड के जरिए जमीन मिल रही है. इस पूरे मामले पर हाईकोर्ट ने तथ्यों की पड़ताल की जरूरत बताई थी और कहा था कि इसके लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई जाएगी. हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से कहा कि वह कमेटी के लिए अधिकारियों के नाम सुझाएं.