सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड का सारा डाटा इलेक्शन कमीशन को सौंप दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि 15 मार्च तक चुनावी बॉन्ड का सारा डाटा चुनाव आयोग अपनी वेबसाइट पर जारी कर देगा, लेकिन आयोग ने समय से पहले ही 14 मार्च को चुनावी बॉन्ड का डाटा अपनी वेबसाइट पर डाल दिया है.
आयोग ने SBI के चुनावी बॉन्ड की सभी जानकारी को दो भाग में बांटा है. चुनाव निकाय के आंकड़ों के मुताबिक इलेक्ट्रिकल बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों में ग्रासिस इंडस्ट्रीज, मेघा इंजीनियरिंग, पिरामल एंटरप्राइजेज, टोरेंट पावर, भारती एयरटेल, डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स, वेदांता लिमिटेड, अपोलो टायर्स, लक्ष्मी मित्तल, एडलवाइस, पीवीआर, केवेंटर, सुला वाइन, वेलस्पन और सन फार्मा शामिल है.
भाजपा को सबसे ज्यादा 6060 करोड़ का चंदा
राजनीतिक दलों का शक था कि चुनावी बॉन्ड खरीदने वाले में बड़े कंपनियों के नाम जैसे- टाटा, अंबानी, अडानी हो सकती है. लेकिन उनका नाम लिस्ट में नहीं है. चुनाव आयोग के मुताबिक बॉन्ड को कैश करने वाली पार्टियों में भाजपा, कांग्रेस, बीआरएस, शिवसेना, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस, डीएमके, जेडीएस, एनसीपी, टीएमसी, जदयू, राजद, आप, AIADMKऔर समाजवादी पार्टी है.
आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा चंदा लेने वाली पार्टी भाजपा है. 12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 तक भाजपा को सबसे ज्यादा 6060 करोड़ रुपए मिले हैं. तृणमूल कांग्रेस को 1609 करोड़ रुपए और कांग्रेस पार्टी को 1421 करोड़ रुपए मिले हैं. भाजपा को एक करोड़ के 5854, 10 लाख के 1994, 1 लाख के 706, 10 हजार के 48 और 1 हजार के 31 यानी कुल मिलाकर 8633 चुनावी बॉन्ड मिले हैं.
चुनाव आयोग ने 763 पेज की लिस्ट को अपलोड किया है. जिसमें बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी शामिल है.
केंद्र सरकार ने 2 जनवरी 2018 को चुनावी बॉन्ड योजना को लागू किया था. इस योजना के तहत भारत का कोई भी नागरिक स्टेट बैंक आफ इंडिया के ब्रांच से चुनावी बॉन्ड को खरीद सकता है, इसके साथ ही कोई भी व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर चुनावी बॉन्ड को खरीद सकता है.