झारखंड के चार शहरों में मिल्क बैंक की शुरुआत होने जा रही है. इस मिल्क बैंक की शुरुआत होने से नवजात बच्चों को वरदान की तरह देखा जा रहा है. कई बार जिन बच्चों की मां नहीं होती है, या जिन माताओं का दूध किसी कारण की वजह से नहीं आ पाता है, या जिन बच्चों की मां जन्म के बाद किसी कारण की वजह से नहीं रह पाती है, उन बच्चों के लिए इन मिल्क बैंक की शुरुआत की गई है.
अब मिल्क बैंक से मां का दूध, बच्चों के लिए शुरू किया गया. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और राज्य योजना के तहत बोकारो, दुमका, हजारीबाग और रांची के अस्पतालों में ह्युमन मिल्क बैंक बनाने की तैयारी शुरू की गई है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से पूरी तरह से तैयार किया गया है. स्वास्थ्य विभाग के इस योजना में सवा करोड़ रुपए खर्च होंगे.
स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए टेंडर प्रक्रिया की भी शुरुआत कर दी है. राज्य सरकार इसके लिए एक चौथाई बजट खर्च करेगी और केंद्र सरकार दो तिहाई बजट योजना पर खर्च करेगी. राज्य में इस योजना के लिए शहरों में जागरूकता अभियान भी चलाए जाएंगे.
देश के कई राज्यों में पहले से ही दूध बैंक के काम कर रहा है. जिससे नवजात बच्चों को दूध उपलब्ध कराया जाता है. जन्म के बच्चों को स्तनपान कराना जरूरी होता है. यह बच्चों के स्वास्थ्य के लिए उचित माना जाता है. कई बार जन्म के बाद मां को स्तनपान कराने में दिक्कत महसूस होती थी जिससे बच्चा मां के दूध से वंचित रह जाता था.