मुस्लिम धर्म में महिलाओं को हिजाब पहनने का रिवाज देखा जाता है. मुस्लिम बहुल देशों में खासतौर पर हिजाब पहनने के लिए कहा जाता है, लेकिन 96 फ़ीसदी मुस्लिम आबादी वाले देश(Muslim Populated Country) की संसद ने हिसाब को लेकर बड़ा फैसला लिया है. मुस्लिम आबादी वाले देश ताजिकिस्तान में आधिकारिक तौर पर संसद ने हिजाब पर बैन लगा दिया है. नए संशोधन के मुताबिक इस कानून का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है.
ताजिकिस्तान के उच्च सदन मजलिसी मिल्ली में हिजाब बैन विधेयक को औपचारिक मंजूरी मिली है. विधेयक के अनुसार विदेशी परिधानों(हिजाब) को दो सबसे महत्वपूर्ण इस्लामी छुट्टियां ईद उल फितर और ईद उल अजहा के लिए बच्चों के उत्सव में शामिल होने पर रोक लगा दी गई है. ईद के त्योहार पर बच्चों को दी जाने वाली ईदी पर भी देश में बैन लगाया गया है.
2015 में हुआ था हिजाब के खिलाफ आंदोलन
प्रस्ताव को प्रशासनिक उल्लंघन संहिता में संशोधन के बाद मंजूरी दी गई है. संसद में पास हुए विधेयक को ना मानने वाले लोगों पर 60 हजार से 5 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है. वहीं अगर कोई धार्मिक या सरकारी अधिकारी कानून का पालन नहीं करेगा, तो उसपर 3 से 5 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
ताजिकिस्तान में करीब 1 करोड़ की आबादी है, जिसमें से 96% से ज्यादा लोग इस्लाम धर्म का पालन करते हैं. सरकार के फैसले के बाद पूरे देश में इसकी आलोचना हो रही है. मानव अधिकार संगठनों समेत मुसलमानों से जुड़े कई ग्रुप ने नए कानून का विरोध किया है. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो ताजिकिस्तान में सरकार ने अनाधिकारिक रूप से कई सालों से हिजाब पर बैन लगाया हुआ है. ताजिकिस्तान की सरकार इसे देश की संस्कृति विरासत के लिए खतरा और विदेशी प्रभाव की तरह देखती है. 2015 में भी राष्ट्रपति इमोमाली रहमान ने हिजाब के खिलाफ देश में आंदोलन भी चलाया था.
ईदी पर पाबंदी लगाने को लेकर सरकार ने कहा कि यह फिजूल खर्ची है.