झारखंड में लालू यादव की पार्टी का अस्तित्व पहले से ही खतरे में पड़ा हुआ है. राज्य में इसे कमजोर संगठन माना जाता है, जिसके चलते यहां राजद का केवल एक विधायक मौजूद हैं. और अब इसके अंदर कलह शुरू हो गया है. झारखंड राजद के अंदर विवादों का सिलसिला इन दिनों देखा जा रहा है. पड़ोसी राज्य में शुरू हुई यह खटपट अब राजधानी पटना तक पहुंच गई है. पटना की सड़कों पर राजद के अंदर का विवाद आज जग जाहिर हो गया.
दरअसल करीब 1 महीने पहले राजद के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह यादव द्वारा पलामू के जिला अध्यक्ष मोहन विश्वकर्मा और राजद जिला अनुसूचित जाति मोर्चा के जिला अध्यक्ष राजू भुंईया को पार्टी से 6 वर्षों के लिए निलंबित किया गया था. इसके खिलाफ यह दोनों नेता अपने दर्जनों समर्थकों के साथ प्रदर्शन करने पटना पहुंचे.
झारखंड राजद दल से निलंबित नेता मोहन विश्वकर्मा ने वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह यादव पर पार्टी को कमजोर करने, तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया है. इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष को बदलने की भी मांग रखी है. पलामू के इन दोनों नेताओं से तेजस्वी यादव ने मुलाक़ात कि उन्होंने दोनों नेताओं की बात सुनी और मामले पर जल्द ही फैसला लेने का आश्वासन दिया है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष से बात कर जल्द ही पार्टी हित में फैसला लिया जाएगा.
झारखंड राजद के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन के दौरान कहा कि हम सब ने मिलकर कड़ी मेहनत की, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष ने कोई मेहनत नहीं की. पैसा लेकर पदाधिकारी बनाया जाता है और दो-तीन दिन बाद फिर हटा दिया जाता है.
बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान पलामू जिला अध्यक्ष मोहन विश्वकर्मा पर पार्टी की गोपनीयता को भंग करने का आरोप लगा था. पलामू जिला अध्यक्ष का एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें वह पार्टी नेताओं के खिलाफ गाली गलौज और धमकी दे रहे थे. अनुसूचित जाति मोर्चा के जिला अध्यक्ष राजू भुंईया को भी दौरान पद से हटाया गया था.