भाकपा माले के पूर्व विधायक मनोज मंजिल को सोमवार को पटना उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई है. 9 साल पहले अपहरण और हत्या के मामले में फरवरी में मनोज मंजिल को सजा हुई थी. मनोज मंजिल के अलावा 22 आरोपियों को भी जिला न्यायालय ने 13 फरवरी को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इसके बाद मनोज मंजिल की विधानसभा सदस्यता को छीन लिया गया था. भोजपुर जिले के बड़गांव में 9 साल पहले अपहरण और हत्या के मामले में इस सजा को सुनाया गया था.
मनोज मंजिल के मामले में पार्टी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, इसके बाद सोमवार को पटना उच्च न्यायालय ने यह फैसला सुनाया. पटना न्यायालय से फैसला आने के बाद माले राज्य सचिव कुणाल ने फ़ैसले का स्वागत करते हुए सभी 22 साथियों के जल्द से जल्द जेल से बाहर आने की उम्मीद जताई. उन्होंने कहा कि यह अन्याय पर न्याय की जीत है. मनोज मंजिल को जमानत तो मिल गई है, लेकिन अदालत के फैसले पर स्टे आर्डर लगाने के लिए पटना उच्च न्यायालय की तरफ से अभी तक फैसला जारी नहीं किया गया है.
उन्होंने आगे कहा कि पटना उच्च न्यायालय की तरफ से जब निचली अदालत के फैसले पर स्टे आर्डर जारी किया जाएगा, तभी हमें पूरा न्याय मिलेगा.
9 साल पहले 20 अगस्त 2015 को अजीमाबाद थाना क्षेत्र में सतीश यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. जिसके बाद प्रतिशोध में बड़गांव निवासी जयप्रकाश सिंह को घर लौटने के दौरान अगवा कर लिया था. जयप्रकाश सिंह के साथ उनके बेटे चंदन कुमार भी थे, लेकिन वह अपनी जान बचाकर भाग निकलने में सफल रहे. जिसके बाद चंदन कुमार ने अजीमाबाद थाना में जाकर इस बात की सूचना दी थी. चंदन कुमार ने अपने पिता की हत्या और उसके शव छुपाने का आरोप लगाया था और इस घटना में 24 लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई थी.