कोसी में विलुप्त हो रहे हैं औषधीय पेड़-पौधें

बिहार के कोसी की मिट्टी मे आयुर्वेद का भंडार है. साथ ही इस बड़े भू-भाग में सघन वन क्षेत्र है. इस वजह से कोसी का इलाका औषधीय पेड़ और पौधों से पटा रहता था.

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सौम्या सिन्हा
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कोसी के औषधीय पेड़-पौधें

कोसी के औषधीय पेड़-पौधें

बिहार का शोक कही जाने वाली कोसी नदी प्रमुख रूप से जिन तीन जिलों में बहती है वह है सहरसा, सुपौल और मधेपुरा. इसलिए इन 3 जिलों के इलाके को कोसी का इलाका कहा जाता है. एक तो बिहार के कोसी की मिट्टी मे आयुर्वेद का भंडार है. साथ ही इस बड़े भू-भाग में सघन वन क्षेत्र है. इस वजह से कोसी का इलाका औषधीय पेड़ और पौधों से पटा रहता था.

लेकिन संरक्षण और संवर्धन के अभाव और गांवों की बसावट और सड़कों के विस्तार के कारण पिछले एक दशक में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई एवं पेड़ों में उत्पन्न बीमारी के कारण इन्हीं वन क्षेत्र से लगभग एक दर्जन से ज्यादा औषधीय पेड़-पौधों की प्रजाति गायब हो गई है. वहीं कई प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं.

बिहार आर्थिक सर्वे  के मुताबिक साल 2016-2017 में 20 प्रोजेक्ट के लिए 51.53 हेक्टेयर वन क्षेत्र, साल 2017-2018 में लगभग 150 हेक्टेयर वन क्षेत्र और 2020-2021 में 432.78 हेक्टेयर वन क्षेत्र मतलब पिछले 5 सालों के आंकड़े को देखा जाए तो 1603.8 हेक्टेयर में फैले वनक्षेत्र को विभिन्न सरकारी योजनाओं के लिए गैर वन क्षेत्र में तब्दील कर दिया गया हैं. वहीं भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा जारी ‘क्लाइमेट वल्नेरिबिलिटी एसेसमेंट फ़ॉर एडॉप्टेशन प्लानिंग इन इंडिया’ रिपोर्ट में बिहार को ‘हाई वल्नेरिबिलिटी’ श्रेणी में रखा गया है.

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