पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक जनता पार्टी(आरएलजेपी) के अध्यक्ष पशुपति पारस को पटना हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है. पटना हाईकोर्ट ने पशुपति पारस से संबंधित एक आदेश पर फिलहाल स्टे लगा दिया है. दरअसल पटना स्थित आरएलजेपी कार्यालय को भवन निर्माण ने नोटिस जारी करते हुए खाली करने का आदेश दिया था. विभाग ने 7 दिनों के अंदर भवन को खाली करने के लिए कहा था, जिस पर पार्टी ने पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट ने मंगलवार को आरएलजेपी को 15 दिनों का समय देते हुए 13 नवंबर तक आदेश पर स्टे लगा दिया है.
हाईकोर्ट में न्यायाधीश मोहित कुमार शाह की खंडपीठ वाली बेंच ने भवन निर्माण विभाग की ओर से एडवोकेट पीके शाही और आरएलजेपी के वकील आशीष गिरि एवं वाई बी गिरी की दलीलें सुनीं. अंत में कोर्ट ने यह फैसला सुनाया कि 13 नवंबर तक इस आदेश पर स्टे आर्डर लगाया जाएगा.
कोर्ट के फैसले के बाद पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने कहा कि जो हमारा तर्क था, जो न्याय संगत था. हम अपनी बात को रख रहे थे. हम लोगों को बिहार में स्टेट लेवल की पार्टी का दर्जा प्राप्त है. इलेक्शन कमिशन की जो गाइडलाइन है उस नाते हमें स्टेट पार्टी का दर्जा है, तो कार्यालय मिलना चाहिए. यदि कहीं और भी कार्यालय मिलता है तो चलेगा. यह जरूरी नहीं है कि हमें यही कार्यालय चाहिए. हम लोगों को तो कार्यालय चलाने से मतलब है.
बताते चलें कि भवन निर्माण विभाग(बिहार सरकार) के संयुक्त सचिव सह सक्षम प्राधिकार संजय कुमार सिंह ने 22 अक्टूबर 2024 को एक पत्र जारी किया. पत्र में कहा गया कि विभागीय एक्ट 1956 की धारा(4) के शक्ति का उपयोग करते हुए राष्ट्रीय लोक के अध्यक्ष को निर्देश दिया जाता है कि आदेश की कॉपी मिलने के 7 दिनों के अंदर आवास संख्या वन व्हीलर रोड, शहीद पीर अली खान मार्ग पटना को खाली करें. निर्धारित अवधि में अगर आवास खाली नहीं किया जाता है तो बाध्य होकर उसे बलपूर्वक खाली कराया जाएगा.