उत्तराखंड के उत्तरकाशी के टनल में बीते 13 दिनों से 41 मजदूर फंसे हुए हैं. इन मजदूरों को निकालने के लिए उत्तराखंड की सरकार दूसरे राज्यों की सरकार मिलकर युद्ध स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है. हालांकि अभी तक किसी भी मजदूर को टनल से सुरक्षित बाहर नहीं निकल गया है.
इस टनल में बिहार और झारखंड के भी कई मजदूर फंसे हुए हैं. जिसमें बिहार से पांच मजदूर टनल में फंसे हुए. जनसुरज पदयात्रा के प्रशांत किशोर ने मधुबनी में पत्रकारों से बातचीत की. उत्तराखंड के निर्माणाधीन टनल में फंसे हुए मजदूरों को लेकर कहा है कि जो मजदूर निर्माण में फंसे हैं उसमें चार-पांच मजदूर बिहार के हैं पता नहीं उन पर क्या बीत रही होगी. देश में दुर्घटना कहीं भी हो उसमें काम करने वाला बिहार का बेटा होता है.
2 करोड़ पलायन करने वालों लोगों की जिंदगी कैसे सुधारे
कुछ दिनों पहले ही सूरत में सेप्टिक टैंक साफ करते हुए बिहार के पांच बच्चों की मौत हो गई थी. उनके परिवारों को कौन पूछने वाला है? राज्य के 2 करोड़ से ज्यादा लोग 10-15 हजार रुपए के लिए सबसे कठिन काम करते हैं. जो काम कोई नहीं करता वह काम बिहार के आदमी गरीबों में परेशान होकर करते हैं. कश्मीर में सड़क बननी है तो मजदूर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश से नहीं जाएगा. कश्मीर में काम करने वाले लोग बिहार से जा रहे हैं.
बिहार के लोगों को मालूम होता है कि वहां ज्यादा खतरा है, लेकिन अपने बच्चों को खिलाना है उनका पेट भरना है इसलिए जाते हैं. लेकिन बिहार के नेता यह नहीं सोचते हैं कि 2 करोड़ पलायन करने वालों की जिंदगी कैसे सुधारे. यहां के नेता अभी भी समाज को बांटने और वोट को बटोरने में लगे हुए हैं.
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि बिहार में लोगों ने नेताओं को देखकर वोट दिया. विचारधारा को देखकर वोट दिया. आंदोलन को देखकर वोट दिया. किसी से सुधार नहीं हुआ इसलिए हम एक बार कह रहे हैं कि अपने बच्चों को देखकर वोट दीजिए. यदि अगर आप अपने बच्चों को देखकर वोट देते हैं तो आपको यह याद रहेगा कि यही वह दल है, यही वह नेता है जिसकी वजह से मेरा बच्चा आज अनपढ़ है, यही दल है जिसकी वजह से मेरा बच्चा साल में 11 महीने कहीं दूसरी जगह रहता है.