सहरसा: कोसी की बाढ़ में बहा सरकारी स्कूल, डीएम ने स्कूल के लिए दान में दी थी जमीन

बिहार के शोक के नाम से मशहूर कोसी ने इस बार बच्चों के शिक्षा को निगल लिया है. कोसी की बाढ़ ने सहरसा जिले के एक स्कूल को अपने साथ बहा लिया, जिससे सैकड़ों बच्चों के शिक्षा पर

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सौम्या सिन्हा
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बाढ़ में डूबा शिक्षा का मंदिर

बाढ़ में बहा शिक्षा का मंदिर

बिहार में बाढ़ एक बड़ी समस्या है. कोसी की बाढ़ हर साल राज्य में त्रासदी मचाती है. बिहार के शोक के नाम से मशहूर कोसी ने इस बार बच्चों के शिक्षा को निगल लिया है. कोसी की बाढ़ ने सहरसा जिले के एक स्कूल को अपने साथ बहा लिया. बीते दिनों सहरसा के नवहट्टा प्रखंड के हाटी पंचायत में राजकीय बुनियादी विद्यालय कोसी के कटाव में पूरी तरह विलीन हो गया. दो मंजिला सरकारी स्कूल का भवन और उससे सटा रसोई घर भी नदी में बह गया.

जानकारी के मुताबिक इस स्कूल की स्थापना 1950 में हुई थी. उस समय शिक्षा के लिए इससे जमीन को डीएम ने दान किया था. बताया गया कि हाटी निवासी और वर्तमान डीएम के पद पर कार्यरत आरटी सिंह ने अपने गांव के बच्चों के बीच शिक्षा का अलख जगाने के लिए जमीन को दान किया था.

पिछले दिनों से ही लगातार कोसी नदी का कटाव जारी है. कोसी ने स्कूल को अपने बहाव में निगल लिया. स्थानीय लोगों ने जल संसाधन विभाग पर नदी के कटाव को रोकने के लिए जरूरी उपाय नहीं किए जाने का आरोप लगाया. गांव वालों ने कहा कि कटाव के कारण स्कूल भी नदी में बह गया. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि किस तरह से दो मंजिल स्कूल नजरों के सामने पानी में बह गया. 

कटाव से आसपास के लोगों के बीच रहने-खाने की भी समस्या हो गई है. लोग अपना घर बार छोड़ पलायन करने को मजबूर हो गए हैं. इससे फसलों और मवेशियों को भी काफी नुकसान हो रहा है.

गौरतलब है कि बिहार में शिक्षा का मंदिर हर साल बाढ़ में प्रभावित होता है. बाढ़ के कारण हजारों स्कूलों को बंद करने का आदेश दे दिया जाता है. इसके अलावा बाढ़ का पानी घुसने से भी बच्चे स्कूल जाने से कतराते हैं. ऐसे में प्रशासन की लापरवाही से हजारों बच्चों की शिक्षा पर बड़ा प्रभाव पड़ता है. बीते दिन भी बिहार के मुंगेर जिला में भी बाढ़ में एक सरकारी स्कूल पूरी तरह डूब गया था. जिस कारण बच्चों और शिक्षकों का भी स्कूल जाना नामुमकिन हो गया. स्कूल के अलावा सड़कों पर भी पानी भर गया था. जिससे काफी दिनों तक स्कूली शिक्षा प्रभावित होने की संभावना थी. मगर आपदा के बीच गांववालों ने एक कमरे में ही स्कूल बना दिया, जहां अस्थाई तौर पर पढ़ाई जारी है.

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