लोकसभा चुनाव 2024 अपने अंतिम चरण में पहुंचने वाला है. 25 मई को छठे चरण की वोटिंग होनी है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को राहत देते हुए बूथ वाइज वोटिंग डेटा अपलोड करने के लिए निर्देश देने से इंकार कर दिया है. दरअसल NGO एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनाव आयोग (EC) की वेबसाइट पर फॉर्म 17सी और बूथ वाइज वोटिंग डेटा(Booth Wise Data) अपलोड करने की मांग की थी.
साथ ही मांग की थी वोटिंग के 48 घंटों के अंदर चुनाव आयोग वोटिंग प्रतिशत का डेटा बूथ वाइज वेबसाइट पर अपलोड कर दे.
इसपर शुक्रवार 24 मई को सुनवाई करते हुए Supreme Court जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने सुनवाई करते हुए निर्देश देने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा पांच फेज के चुनाव हो चुके हैं, अब मात्र दो फेज का चुनाव बचे हैं. ऐसे में चुनव आयोग को अपलोडिंग के लिए मैनपॉवर जुटाना मुश्किल होगा.
चुनाव आयोग ने किया था विरोध
17 मई को हुई सुनवाई में SC ने आयोग से एक हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने का समय दिया था. 22 मई को आयोग ने अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा था “चुनावी प्रक्रिया पर संदेह पैदा करने का अभियान चल रहा है.”
चुनाव आयोग(election commission) ने याचिकाकर्ता की मांग पर आपत्ति जताते हुए कोर्ट में एफिडेविट जमा कर कहा था “फॉर्म 17सी (हर मतदान केंद्र पर डाले गये वोटों का रिकॉर्ड) के आधार पर वोटिंग डेटा का खुलासा करने से मतदाताओं के बीच भ्रम पैदा होगा, क्योंकि इसमें बैलेट पेपर की गिनती भी शामिल है.
चुनाव आयोग ने कोर्ट में कहा, ऐसा कोई कानून नहीं है जिसके आधार पर सभी मतदान केंद्रों का फाइनल वोटिंग डेटा जारी करने के लिए कहा जा सके. आयोग ने कहा फॉर्म 17सी केवल पोलिंग एजेंट को दे सकते है. फॉर्म 17सी पीठासीन अधिकारी सभी प्रत्याशियों को प्रमाणित करके देता है. इसे किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को देने की अनुमति नहीं है.
वोटरों में फैलने वाले भ्रम को लेकर चिंता जाहिर करते हुए चुनाव आयोग ने कोर्ट में तर्क दिया था कि “कईं बार जीत-हार का अंतर काफी नजदीक होता है. आम वोटर फॉर्म 17सी के अनुसार बूथ पर पड़े कुल वोट और बैलेट पेपर को आसानी से नहीं समझ सकते. ऐसे में इसका उपयोग चुनावी प्रक्रिया पर कलंक लगाने के लिए किया जा सकता है. इसका असर मौजूदा चुनावी प्रक्रिया पर भी पड़ सकता है.
ADR ने चुनाव आयोग पर लोकसभा चुनाव के दो चरणों में वोटिंग परसेंट देर से जारी करने का भी आरोप लगाया है. ADR ने कोर्ट में कहा 19 अप्रैल को हुए पहेल चरण के मतदान के बाद आयोग ने इसके 11 दिन बाद और 26 अप्रैल को हुए दूसरे चरण के मतदान के चार दिन बाद फाइनल वोटिंग परसेंट जारी किया गया. जिसमें शुरुआत में जारी आंकड़ों मुकाबले बाद में जारी हुए परसेंटेज 5-6% ज्यादा था.