मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को अपने कैबिनेट की बैठक में विशेष राज्य के दर्जे के प्रस्ताव पर मोहर लगवा दी. नीतीश कैबिनेट की मंजूरी के बाद बिहार में विशेष राज्य के दर्जे की मांग की गूंज बहुत जोर से सुनाई देने लगी है. कैबिनेट के बैठक में विशेष राज्य के दर्जे के साथ ही आरक्षण की सीमा को भी बढ़ाने के लिए केंद्र से नौवें अनुसूची में डालने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली.
कैबिनेट के मीटिंग के बाद गुरुवार के दिन उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने राज्य में आगे बनाई जाने वाली योजनाओं पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की.
तेजस्वी यादव ने भी इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने नेतृत्वकर्ता नीतीश कुमार की तरह ही केंद्र से विशेष राज्य के दर्जे की मांग उठाई है. तेजस्वी यादव ने कहा है कि बिहार के पास अपना साइंटिफिक जाति आधारित जनगणना का डाटा मौजूद है. इसके आधार पर यह पाया गया है कि बिहार में हर जाति में लोगों में गरीबी है.
14 वर्षों में कई बार केंद्र से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग
राज्य सरकार गरीबों के लिए कल्याणकारी योजना बनाएगी. जमीन खरीदने के लिए गरीबों को 1 लाख रुपए देगी. मकान बनाने के लिए भी 1 लाख रुपए सरकार की तरफ से दिए जाएंगे.
उप मुख्यमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हमारे गठबंधन के सरकार गरीबों की सरकार है और गरीबी देश में सबसे बड़ी दुश्मन है. केंद्र सरकार अगर राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देती है तो राज्य में जल्दी ही विकास का काम होगा. केंद्र सरकार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर अपनी राय रखनी चाहिए. नीतीश कुमार ने 14 सालों कई बार केंद्र से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है. भारत सरकार लगातार इसको नजर अंदाज कर रही है. केंद्र जल्द ही तय करें बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाएगा या फिर नहीं.
इस प्रेस कांफ्रेंस में उपमुख्यमंत्री के साथ योजना विकास मंत्री विजेंद्र यादव और वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी भी शामिल रहे.