बिहार में लंबे इंतजार के बाद शिक्षकों के लिए ट्रांसफर-पोस्टिंग पॉलिसी की खुशखबरी आई है. नीतीश सरकार ने शिक्षकों को के लिए ट्रांसफर-पोस्टिंग पॉलिसी को हरी झंडी दिखाई है. सोमवार को शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी घोषणा की. शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस पॉलिसी में अधिक शिक्षकों को सहूलियत हो, यही सीएम नीतीश कुमार चाहते हैं. शिक्षकों की कठिनाई को ध्यान में रखते हुए यह नीति बनी है. बीपीएससी और जो भी पुराने शिक्षक हैं वह इस पर पिटीशन भी दे सकते हैं. शिक्षकों को पोस्टिंग के लिए 10 ऑप्शन दिया जाएगा, कोशिश रहेगी कि शिक्षक अपने ही जिले में रहे.
ट्रांसफर-पोस्टिंग पॉलिसी निकायों द्वारा नियुक्त शिक्षकों पर लागू नहीं होगी. ट्रांसफर के लिए इच्छुक शिक्षकों को ऑनलाइन आवेदन देना होगा. ई-शिक्षा कोष के माध्यम से ऑनलाइन ट्रांसफर के लिए आवेदन डालने की व्यवस्था की गई है. किसी भी तरह के फिजिकल डॉक्यूमेंट जो पूर्व में जमा किए गए हैं उन्हें भी ऑनलाइन आवेदन में जमा करना होगा. इस नई नीति के तहत शिक्षकों का हर 5 साल में ट्रांसफर होगा.
शिक्षा मंत्री ने बताया कि अगर कोई शिक्षक के कैंसर, किडनी या हृदय रोग जैसी बीमारी से पीड़ित है, जिससे स्वयं, पति-पत्नी एवं बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं, उन्हें स्वयं के करीब पंचायत, नगर निकाय या पत्नी के पंचायत, नगर निकाय में पदस्थापित किया जाएगा. स्कूलों में वेतनमान में नियुक्त शिक्षक, स्थानीय निकाय द्वारा नियुक्त शिक्षक, सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण विशिष्ट शिक्षक और बीपीएससी से नियुक्त शिक्षक हैं.
इस नई पॉलिसी से पति-पत्नी शिक्षक के लिए भी फायदा लाया गया है. पॉलिसी से 1.87 लाख सक्षमता पास शिक्षकों की पोस्टिंग का भी रास्ता खुल गया है. शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव एस सिद्धार्थ ने बताया कि शिक्षकों को उनके घर के पास ही स्कूलों में पदस्थापित किया जाएगा. इसके लिए उन्हें 10 विकल्प देने होंगे. विभाग कोशिश करेगा कि उन्हें विकल्पों में से कहीं पदस्थापित किया जाए.