बिहार में लगातार गिर रहे पुलों के बाद जल संसाधन विभाग जाग गया है. जल संसाधन विभाग ने फैसला किया है कि अब वह पुलों के एनओसी की जांच करेगा. हालांकि पहले भी विभाग ने पुल- पुलियों की जांच कराई थी, जिसमें करीब 700 पुल-पुलिया लावारिस मिले थे. विभाग को इस बात की जानकारी नहीं मिली कि इनका निर्माण किस विभाग ने करवाया है.
बिहार में 2014 में पुल- पुलियों के निर्माण से पहले जल संसाधन विभाग से एनओसी लेने का नियम लागू किया गया था. लेकिन इसका पालन नहीं किया गया. पथ निर्माण विभाग से भी पुलों की ऑडिट कराई, जिसमें 1700 पुलों के ऑडिट का रिकॉर्ड है. इसमें बड़े पैमाने पर पुल-पुलियों के जर्जर होने का भी रिकॉर्ड मिला है.
इन सभी जांच के बाद जल संसाधन विभाग ने पिछले 10 सालों में बने सभी पुलों के जांच का फैसला किया है. इसके लिए विभाग ने सभी क्षेत्रीय अधिकारियों को रिपोर्ट भेजने कहा है. विभाग ने आदेश दिया है कि पुल-पुलियों के अलावा जितनी भी संरचनाओं का निर्माण हुआ है उन सभी की जांच की जाए. इसकी जिम्मेदारी विभाग ने क्षेत्रीय मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता, केंद्रीय रूपांकरण शोध एवं गुणवत्ता नियंत्रण के मुख्य अभियंता को दी है.
दरअसल विभाग ने पिछले 5 वर्षों में बने पुलों के जांच का फैसला लिया था. लेकिन समीक्षा बैठक में यह बात निकली कि गड़बड़ी पहले भी हो सकती है. पुलों की जांच में देखा जाएगा कि निर्माण में मापदंडों का पालन किया गया है या नहीं. अगर नहीं हुआ तो इसका पुलों पर क्या असर पड़ रहा है.
बता दें कि बिहार में पिछले दिनों कई पुल-पुलिया, डायवर्सन इत्यादि बह गए थे. दर्जन भर से ज्यादा पुल धराशाई होने की घटना राज्य में हुई थी, जिसके बाद सीएम नीतीश कुमार विपक्ष के निशाने पर है. इस घटना के बाद राज्य सरकार ने पिछले दिनों पथ निर्माण विभाग से सभी पुलों का ऑडिट करने का आदेश दिया था. इसके बाद अब एनओसी जांच का निर्णय लिया गया है.