मंगलवार को सीएम नीतीश कुमार और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की अचानक मुलाक़ात हुई. चाचा-भतीजे के इस मुलाकात ने बिहार में राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है. हर तरफ चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है कि एक बार फिर चुनाव में क्या खेला हो सकता है? लंबे अरसे के बाद दोनों के इस मुलाकात पर कई चर्चाएं हो रही है, मगर मुलाकात की असल वजह राजनैतिक नहीं संवैधानिक है.
दरअसल दो सूचना आयुक्त की नियुक्ति को लेकर मुख्यमंत्री सचिवालय में बैठक का आयोजन हुआ. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली बैठक में बिहार विधानसभा के विरोधी दल के नेता तेजस्वी यादव की शामिल होने पहुंचे. इसी बैठक में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की मुलाकात हुई. बैठक खत्म होने के बाद पूर्व डिप्टी सीएम ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री से आरक्षण को नौवें शेड्यूल में लाने के लिए भी बातचीत हुई है. मुख्यमंत्री से इस मुद्दे को कोर्ट में ले जाने की चर्चा हुई, जिस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार भी इस मामले पर कोर्ट में है.
इधर भाजपा की और से भी दोनों की मुलाकात को राजनीतिक रूप देने से मना कर दिया गया. बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की मुलाकात को संवैधानिक बताया. उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव नेता प्रतिपक्ष में सरकार की ओर से कुछ निर्णय लिए जाते हैं. उसमें नेता प्रतिपक्ष की भूमिका जरूरी होती है. इस मुलाकात को राजनीतिक रूप में नहीं देखना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि बिहार में सूचना आयोग की नियुक्ति हुई है, जिसके लिए नेता प्रतिपक्ष की सहमती ली जाती है. हमारे मुख्यमंत्री सबको सम्मान देते हैं.
दिलीप जायसवाल ने कहा कि इस बैठक की नेता प्रतिपक्ष और हमारे मुख्यमंत्री के बीच कोई मुलाकात नहीं हुई है. यह बस मीडिया में चर्चा बनाया जा रहा है.