सीमा देवी, जो की पटना में ही रहती हैं, उनके पति का देहांत हो चुका है. घर में 2 बच्चियां हैं. घर का ख़र्च चलाने के लिए सीमा सिलाई का काम करती हैं. बड़ी मुश्किलों से घर चला पाती हैं और बच्चियों को पढ़ा पाती हैं. उनके घर में भी स्मार्ट मीटर लग चुका है. जब हमने उनसे बिजली के ख़र्च के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि “पहले मेरे यहां पुराना वाला मीटर लगा हुआ था. तब बिजली का बिल 1000 का आता था. अब जबसे स्मार्ट मीटर लगा है परेशानी काफ़ी बढ़ गई है और बिजली का ख़र्चा भी."
सीमा देवी आगे बताती हैं कि “एक दिन में पांच यूनिट बिजली खपत करने वाला मीटर अगले दिन 20 यूनिट खपत करता है. एक दिन में 30 रुपए की खपत की जानकारी देने वाला मीटर अगले दिन 300 रुपए की खपत की सूचना देता है. हर दो दिनों में मुझे रिचार्ज करना पड़ता है जबकि मेरे यहां एक पंखा और कुछ एलईडी बल्ब ही लगे हैं. मेरी आमदनी इतनी नहीं है कि मैं बार बार रिचार्ज कर सकूं. स्मार्ट मीटर लगाने के बाद मेरे घर की आर्थिक स्तिथि गड़बड़ा गई है.”
सुर्खियों में बना है बिहार का स्मार्ट मीटर
बिहार पहला राज्य है जहां स्मार्ट प्री-पेड मीटर लगाए गए हैं. बिहार में स्मार्ट मीटर को लेकर सियासी बवाल शुरू हो चुका है. नेताओं द्वारा स्मार्ट मीटर पर एक के बाद एक बयान आ रहें हैं. इसी बीच ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा कि बिहार में मुफ़्त बिजली नहीं मिलेगी और स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लगाने का कार्य नहीं रुकेगा. जो लोग स्मार्ट प्रीपेड मीटर को उखाड़ रहे हैं उन पर कार्रवाई होगी.
राज्य में 50 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा है. शेष उपभोक्ताओं के परिसर में 2025 तक मीटर लगाने की योजना है. बिहार में बिजली कंपनी ने प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने के कार्य में तेजी लाई है. हालांकि, जिन्होंने स्मार्ट मीटर (Smart Meter) लगवाया है, उनमें से कुछ लोगों की शिकायत है कि इस मीटर से अधिक बिल बन रहा है. प्रीपेड स्मार्ट मीटर के उपभोक्ताओं की यह आम शिकायत रही है कि बैलेंस नहीं रहने के बाद जब उनकी बिजली बंद कर दी जाती है और फिर जब वो रिचार्ज करते हैं तो तुरंत बिजली की आपूर्ति आरंभ नहीं हो पाती है.
2023 से बन रहा लक्ष्य अब तक पूरा नहीं
2023 में कंपनी ने 18 लाख शहरी उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट प्रीपेड लगाने का लक्ष्य तय किया था. हालांकि इस संख्या में और कमी हुई है. सभी शहरी उपभोक्ताओं के यहां जून तक ही स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने थे. लेकिन कई कारणों से ईईएसएल (इनर्जी इफिशिएंसी सर्विस लिमिटेड) इस लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकी. कंपनी ने तय किया था कि इस साल के अंत तक सभी शहरी क्षेत्र के उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा दिए जाएंगे. इसके बाद ग्रामीण इलाकों में प्रीपेड मीटर लगाने की गति में तेज़ी आएगी.
वैसे राज्य में 2023 तक ग्रामीण और शहरी इलाकों को मिलाकर 19 लाख से अधिक प्रीपेड मीटर लग चुके हैं. 2024 में उर्जा विभाग के सचिव पंकज कुमार पाल ने सीएम नीतीश कुमार को प्रेजेंटेशन के जरिए विभागीय कार्यों की जानकारी दी. पाल ने बताया कि अब तक बिहार में 50 लाख 23 हज़ार से अधिक स्मार्ट प्री-पेड मीटर लग चुके हैं. इसमें से शहरी क्षेत्रों में 17 लाख 47 हज़ार और ग्रामीण इलाकों में 32 लाख 76 हज़ार लगाए गए हैं. उन्होंने बताया कि अगले वर्ष तक राज्य के सभी घरों में स्मार्ट प्री-पेड मीटर लगा दिया जाएगा.
बिहार में स्मार्ट मीटर में कई सारी कमियां
2023 में स्मार्ट प्रीपेड मीटर का सर्वर फेल हाेने से 13 हज़ार से अधिक घराें की बिजली गुल हाे गई. इन उपभाेक्ताओं का बैलेंस अचानक माइनस में चला गया था, जिससे बिजली कट गई. जिनके प्रीपेड खाते में 641 रुपए थे, उनका बैलेंस माइनस 10,143 रुपए दिख रहा था. इस तरह का घटना कई बार लोगों द्वारा देखा गया है. लेकिन इसको लेकर सरकार स्मार्ट मीटर में कोई भी सुधार नहीं करती है.
पटना के सब्जीबाग में रहने वाले इंतेखाब बताते हैं कि “ एक दिन बिजली चली गई तो मैंने रिचार्ज करने के लिए ऐप खोला तो उसमें -50 रुपया था, मुझे लगा की ऐसा होता है हमेशा रिचार्ज कर देता हूं. फिर मैंने 500 रुपए का रिचार्ज किया तो भी बिजली नहीं आई. काफ़ी देर बाद दोबारा ऐप खोल कर देखा तो रुपया -2000 था. मैंने शिकायत करने की कोशिश की लेकिन शिकायत भी दर्ज नहीं हुई. पहले घर में 2000 में पूरा महीना चल जाता था. लेकिन स्मार्ट मीटर लगाने के बाद बिजली का बिल 5000 के ऊपर हो जाता है और अगर ऐप से गलती हुई तो 10000 तक भी पहुंच जाता है."
पिछले चार महीने में राजधानी में बिजली उपभोक्ताओं को तीसरी बार स्मार्ट मीटर नेटवर्क फेल की परेशानी का सामना पड़ रहा है. मई में शहर ही नहीं पूरे प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को करीब 20 दिनों तक स्मार्ट मीटर नेटवर्क के फेल होने की समस्या का सामना करना पड़ा था. इसके बाद जुलाई के शुरुआती दिनों में भी करीब चार दिन नेटवर्क फेल हो गया था.
पटना के अशोक बताते हैं कि “बिजली जाती है और मैं अपना प्रीपेड खाता देखता हूं तो -100 रुपया रहता है. दोबारा रिचार्ज करता हूं 1000 रुपया का तो प्रीपेड खाते में 900 रुपया तो रहता है लेकिन 1 दिन के अंदर ही सारे पैसे ख़त्म हो जाते हैं. मुझे अगले दिन दोबारा रिचार्ज करना होता है. स्मार्ट मीटर के आ जाने से काफ़ी समस्या बढ़ गई है. सरकार को चाहिए कि या तो पुराने वाला मीटर का इस्तेमाल करे या स्मार्ट मीटर को सुधारे."
जवाब देने को तैयार नहीं पावर होल्डिंग कंपनी
जब हमने बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कॉल तो उठाया पर हमने जैसे ही कहा कि मैं न्यूज़ चैनल से बात कर रहा हूं तो उन्होंने कॉल कट कर दिया. बिहार में स्मार्ट मीटर लगने से लोगों की परेशानी तो ज़रूर बढ़ गई है. जहां बिजली पर महीने का 2000 रुपया खर्च होता था आज वहीं लोगों का 5000 रुपया तक खर्च हो जाता है. यही नहीं बिहार बिजली स्मार्ट मीटर नाम से जो एप्लीकेशन है उसमें भी कई सारी कमियां है.
रिचार्ज करने पर उल्टा खाता माइनस में चला जाता है , जिससे उपभोगताओं को समस्या का सामना करना पड़ता है. रिचार्ज रहने का बावजूद लाइट चली जाती है. बिना बिजली इस्तेमाल किए बिल अधिक हो जाता है. अभी सारे नेता स्मार्ट मीटर पर बात कर रहें हैं लेकिन जब इसे ठीक करने के बारी आएगी तो इसकी कमियों पर कोई ध्यान नहीं देता है. कोई भी नेता आम इंसानों की परेशानियों को नहीं समझता है. अगर सरकार स्मार्ट मीटर नहीं बदल सकती तो इसमें सुधार तो कर सकती है. गरीब मज़दूर मेहनत कर पैसे कमाते हैं और अगर अचानक उनपार 2000 या 3000 रुपया का फटका लगे तो उनकी जिंदगी किसी अज़ाब से कम नहीं ऊपर से बिजली भी काट दी जाती है.