बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार चल रही है. इस साल फरवरी में एनडीए सरकार ने बिहार विधानमंडल में 2024-25 के लिए 2.78 करोड़ रुपए का बजट पेश किया. जिसमें सबसे ज्यादा राशि शिक्षा पर खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है. स्वास्थ्य पर भी एक बड़ी राशि बिहार सरकार ने खर्च करने का निर्णय लिया. अब तक के सबसे बड़े बजट के आकार में नीतीश सरकार ने स्वास्थ्य पर बजट का 7.12% यानी करीब 7117.56 करोड़ रूपए खर्च करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.
बिहार सरकार के इस बड़े बजट के अनुसार स्वास्थ्य सुविधाएं तैयार हो रही है. राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में विश्वस्तरीय विकास हो रहा है. स्वास्थ्य बजट का सबसे ज्यादा काम इसी निर्माण पर देखा जा सकता है. इसके अलावा अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं राज्य में नदारत हैं. बिहार के कई अलग-अलग स्वास्थ्य केंद्रों, उप स्वास्थ्य केंद्रों, चिकित्सा घरों, सरकारी अस्पतालों की जर्जर हालत आए दिन सामने आती है.
मौजूदा समय में राज्य में मानसून ने दस्तक दी है. मानसून के कारण राज्य के लगभग हर गली- मोहल्ले में जल जमाव जैसी समस्याएं हो रही है. मानसून के समय बीमारियों का भी खतरा सबसे ज्यादा रहता है. जिसमें डेंगू मच्छरों का खौफ लोगों को डरा रहा है. राज्य में इस साल जनवरी से 30 अगस्त तक 700 से ज्यादा डेंगू के मामले दर्ज किए गए हैं. जिनमें राजधानी पटना में भी डेंगू का बड़ा विस्फोट हुआ है. पिछले 24 घंटे में पटना में 13 डेंगू मरीजों की पुष्टि हुई है.
डेंगू मच्छर के डंक से बीते साल सबसे ज्यादा लोग संक्रमित हुए थे. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में डेंगू के सबसे ज्यादा 6.5 मिलियन से ज्यादा मामले दुनियाभर में दर्ज हुए थे. वहीं 7300 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवा दी थी.
हर बार मानसून में पटना नगर निगम डेंगू रोकथाम के लिए तत्पर होने का दावा करती है. इस साल भी यह परंपरागत बयान नगर निगम की ओर से जारी हुआ. पटना के प्रत्येक वार्ड में डेंगू से बचाव के लिए एंटी लारवा के छिड़काव और निगरानी टीम के गठन की बात कही गई है.
नगर निगम ने इस साल 500 लोगों की टीम बनाकर अकेले पटना में दो शिफ्ट में एंटी लारवा के छिड़काव का काम का दावा किया है. मगर इस दावे की भी जमीनी हकीकत कुछ और है. डेमोक्रेटिक चरखा के एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि पटना के कई इलाकों में जिनमें एशिया की सबसे बड़ी कॉलोनी कंकड़बाग शामिल है, वहां एंटी लारवा का छिड़काव नहीं हो रहा है.
पिछले साल भी निगम ने ऐसा ही दावा किया था, मगर बीते साल 10 हजार से अधिक डेंगू मरीज राजधानी में मिले थे. जिसमें पटना के बांकेपुर, नूतन राजधानी अंचल, कंकड़बाग और पटना सिटी जैसे इलाकों मैं डेंगू मरीजों की पुष्टि हुई थी. वहीं राज्य की बात करें तो 20 हजार से अधिक मामले डेंगू के बिहार में पाए गए थे.
ऐसे में राज्य सरकार के स्वास्थ्य व्यवस्था पर कई सवाल खड़े होते हैं. जहां एक ओर स्वास्थ्य पर खर्च करने के लिए हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट बनाया जाता है. राजधानी के नगर निगम के लिए भी करोड़ों रुपए का बजट लाया जाता है. इतने बड़े बजट से लोगों की उम्मीदें काफी बढ़ दी जाती है. इनसे लोग अपनी सुरक्षा, साफ-सफाई के लिए नगर निगम की ओर देखते हैं. जाहिर है निगम अपने स्तर पर काम करता है, मगर कमी कहीं ना कहीं दोनों ओर से हो रही है. नगर निगम के अलावा लोगों की ओर से भी साफ-सफाई रखने, गंदगी ना फैलाने में पूरा सहयोग करना होगा. कई बार अपने स्वास्थ्य और अपने जान की रक्षा के लिए लोगों को भी जागरूक होकर साफ-सफाई का ध्यान रखना होगा. मगर सरकार को भी आखरी छोर तक सुविधाओं की निगरानी करनी होगी ताकि बजट का सही और पूरा फायदा लोगों तक पहुंचे.