BPSC TRE-3: शिक्षक अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज, डोमिसाइल और सप्लिमेंट्री रिजल्ट की कर रहे हैं मांग

किसी भी भर्ती परीक्षा के लिए आंदोलन बिहार के छात्र करते हैं, पुलिस की लाठी उनपर पड़ती है, टैक्स हमसे लिया जाता है. फिर नौकरी देने के समय बाहरी छात्रों को लाभ क्यों?

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BPSC TRE 3.0 का एडमिट कार्ड जारी

बीपीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षा (BPSC TRE-3) का रिजल्ट अगस्त महीने के अंत में आने के कयास लगाये जा रहे हैं. तीसरे चरण की भर्ती परीक्षा के लिए 87 हजार 774 पदों पर नियुक्ति निकाली गयी है. परीक्षा में लगभग चार लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे.

सोमवार 12 अगस्त को परीक्षा में शामिल सैंकड़ों अभ्यर्थी बीपीएससी कार्यालय के बाहर “वन कैंडिडेट वन रिजल्ट” की मांग लिए पहुंच गये. अभ्यर्थियों का आरोप है की पहले और दूसरे चरण की शिक्षक बहाली के बाद हजारों पद रिक्त रह गए थे. एक छात्र को तीन-तीन रिजल्ट दिया गया. जिसके कारण कई अभ्यर्थी कटऑफ पार करने के बाद भी मेरिट लिस्ट में जगह नहीं बना पाए.

छात्र परीक्षा में डोमिसाइल और सप्लिमेंट्री रिजल्ट जारी करने की भी मांग कर रहे हैं. ताकि राज्य में तैयारी करने वाले छात्रों को रोजगार मिल सके.

भारी संख्या में छात्रों के बीपीएससी कार्यालय के बाहर जमा होने पर पुलिस ने बल प्रयोग कर छात्रों को हटाने का प्रयास किया. इस दौरान कई अभ्यर्थियों को चोटें भी आई. पुलिस ने आंदोलन का नेतृत्व कर रहे छात्र नेता दिलीप कुमार को भी हिरासत में ले लिया था. हालांकि कुछ घंटों बाद उन्हें रिहा कर दिया गया.

वन कैंडिडेट वन रिजल्ट

प्रदर्शन कर रहे छात्रों की मांग है की बीपीएससी एक अभ्यर्थी का एक ही पद के लिए रिजल्ट जारी करे. इसे ही वन कैंडिडेट वन रिजल्ट नाम दिया ग्या है. पिछली दो परीक्षाओं में अभ्यर्थियों के मल्टीप्ल रिजल्ट यानि एक अभ्यर्थी के तीन-तीन पदों जैसे प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक में रिजल्ट जारी किये गये. चूंकि कॉउंसलिंग में अभ्यर्थी किसी एक पद का चुनाव करते हैं तो बाकि दो पद खाली रह जाता हैं. पद खाली रहने का कारण रिजल्ट के बाद होने वाली काउंसलिंग प्रक्रिया को दिया जा रहा हैं.

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प्रदर्शन में में भाग ले रहे छात्र नेता दिलीप कहते हैं “बीपीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षा पहली ऐसी परीक्षा बन गया है जिसमें रिजल्ट के बाद काउंसलिंग का आयोजन किया जा रहा है. जबकि अन्य परीक्षाओं में काउंसलिंग रिजल्ट से पहले किया जाता है. उसमें पद से ज्यादा अभ्यर्थी को बुलाया जाता हैं ताकि पद खाली ना रहे. बीपीएससी द्वारा ही जो सिविल सेवा पदों के लिए या बीएसएससी द्वारा जो परीक्षाएं आयोजित होती हैं उसमें काउंसलिंग पहले आयोजित होता है. ताकि विज्ञापन के शर्तों के अनुसार अभ्यर्थियों के कागजात की जांच हो सके.”

बीपीएससी टीआरई-1 और टीआरई-2 में काउंसलिंग प्रक्रिया में हजारों अभ्यर्थी फर्जी कागजातों और शर्त अनुसार डॉक्यूमेंट जमा नहीं करने के कारण बाहर हो गये थे. वहीं कई अभ्यर्थी जॉइनिंग के बाद भी सेवा से बाहर किए गए क्योंकि बाद की जांच प्रकियाओं में उनके कागजात गलत पाए गये थे. छात्रों की मांग है की इसबार रिजल्ट से पहले काउंसलिंग कराया जाए. पहले 11वीं और 12वीं के लिए पद से ज्यादा संख्या में अभ्यर्थियों को बुलाया जाए. उनके कागजातों की बारीकी से जांच हो ताकि नियुक्ति के बाद पद से हटाने की नौबत ना आए. काउंसलिंग पूरा होने के बाद रिजल्ट जारी हो. यही प्रक्रिया बाकि के पदों में भी किया जाए.

हालांकि बीपीएससी का कहना है कि एक कैंडिडेट का दो सीटों यानि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक में रिजल्ट जारी किया जाएगा. इसके बाद यह अभ्यर्थी के चुनाव के ऊपर है की वह किस पद पर ज्वाइन करना चाहते हैं.

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है की अभ्यर्थियों के ओएमआर (OMR) सीट को वेबसाइट पर अपलोड किए जाने के लिए बेलट्रान (BELTRON) को नियुक्त किया जा रहा है. प्रदर्शन कर रहें छात्रों की मांग है कि बेलट्रान को किसी भी हाल में इस परीक्षा में शामिल ना किया जाए. 

दिलीप कहते हैं “बेलट्रान की छवि क्या है यह सभी को पता है. आजतक जिस भी संस्था ने, जिस किसी परीक्षा में बेलट्रान को शामिल किया उसमें खुलेआम धांधली हुई. अभ्यर्थियों को फ़ोन कर पैसा मांगा गया. अगर टीआरई-3 में उसे जिम्मेदारी मिली तो खुलेआम सीटें बेच दी जायेंगी.”

डोमिसाइल नहीं रहने से छात्रों को नुकसान  

साल 2023 में जब पहली बार बीपीएससी द्वारा शिक्षक भर्ती परीक्षा का आयोजन किये जाने का नियम लागू किया गया तो अभ्यर्थियों ने इसका विरोध किया. अभ्यर्थियों ने प्रश्न उठाया पहले बीएड, फिर शिक्षक पात्रता परीक्षा और फिर बीपीएससी टीआरई लेना अभ्यर्थियों के साथ कठोरता है. लेकिन सरकार ने तर्क दिया इससे बिहार के सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था बेहतर होगी. साथ ही इस परीक्षा के माध्यम से नियुक्त होने वाले शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाएगा जिससे उनके वेतनमान और बाकि सुविधाओं में भी वृद्धि होगी.

दबे मन से अभ्यर्थियों ने इसे स्वीकार कर लिया. लेकिन जब आवेदन निकाला गया तो इसमें डोमीसाइल नियम नहीं लगाया गया. यानि अन्य राज्यों के छात्र भी योग्यता रखने पर इस भर्ती परीक्षा में शामिल हो सकते हैं. विरोध होने पर विभाग ने इसपर भी तर्क दिया की बिहार के छात्र भी अन्य राज्यों की भर्ती परीक्षा में शामिल होते हैं.

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पद की संख्या और अच्छा वेतनमान होने के कारण यूपी, झारखंड और अन्य राज्यों के हजारों छात्र परीक्षा में शामिल हुए और नियुक्त भी हुए. जिसका नुकसान बिहारी छात्रों को कटऑफ और नियुक्ति में उठाना पड़ा.

खगड़िया के रहने वाले सदानंद कुमार टीआरई-1 और टीआरई-2 दोनों परीक्षाओं में एक और दो नंबर से रह गए. डोमिसाइल लागू करने की मांग करते हुए सदानंद कहते हैं “अभी झारखंड और उत्तराखंड में शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन निकाला गया. लेकिन उसमें कंडीशन रखा गया आपको यहां का मूल निवासी होना होगा. झारखंड में रखा गया की झारखंड टेट (TET) के साथ झारखंड के ही हाईस्कूल से पढ़ाई किया हो. बाद में हाईकोर्ट के आदेश के बाद नियम वापस लिया गया. लेकिन केवल 11वी से 12वी में मौका दिया गया वह भी 10 फीसदी डोमिसाइल के साथ. जब बाकी राज्य डोमिसाइल लागू कर रहा है तो यहां क्यों नहीं?”

मूंगेर जिले के रहने वाले अभ्यर्थी नीरज कुमार का कहना है “किसी भी भर्ती परीक्षा के लिए आंदोलन बिहार के छात्र करते हैं, पुलिस की लाठी उनपर पड़ती है, टैक्स हमसे लिया जाता है. फिर नौकरी देने के समय बाहरी छात्रों को लाभ क्यों मिल रहा है. टीआरई-2 में काफी संख्या में बाहरी छात्रों को नौकरी दी गई.”

अभ्यर्थियों के आरोप को आंकड़ो से समझाते हुए छात्र नेता अमित विक्रम कहते हैं “लगभग दो लाख पदों पर शिक्षकों की भर्ती हुई है, जिसमें 40 फीसदी सीट ओपन कैटेगरी की थी. इस कैटेगरी में औसतन 70 से 80 फीसदी नियुक्ति बाहरी लोगों की हुई. यानि लगभग 60 हजार लोग दूसरे राज्य से आकर यहां जॉब कर रहे हैं. जबकि मल्टीपल रिजल्ट केवल पांच फीसदी अभ्यर्थियों का हुआ है. इसलिए मल्टीपल रिजल्ट से ज्यादा नुकसान अभ्यर्थियों को डोमिसाइल ना रहने के कारण हो रहा है.” 

सप्लीमेंट्री रिजल्ट की उठी मांग

मुजफ्फरपुर जिले के रहने वाले दयानंद कुमार की डीएलएड की डिग्री रद्द हो जाने के कारण अब दो वर्षीय बीएड की पढ़ाई कर रहे हैं. टीआरई-1 में मात्र एक नंबर से दयानंद प्राथमिक शिक्षक बनने से रह गए थे. दुबारा टीआरई-2 में परीक्षा पास कर गये. लेकिन 28 नवंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने इन जैसे अभ्यर्थियों की राह मुश्किल कर दी.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार और जयवीर सिंह व अन्य मामले में सुनवाई करते हुए फैसला दिया कि राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान (NIOS) से किया गया 18 माह का DELEd. डिप्लोमा कोर्स, रेगुलर 2 साल के डिप्लोमा कोर्स के बराबर नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन ने NIOS से किये गये 18 माह के डिप्लोमा कोर्स को प्राइमरी टीचर के लिए मान्यता नहीं दी है.

दयानंद कहते हैं “कोर्ट के फैसले के बाद हमलोगों की बहाली नहीं की गयी. मेरा कहना है जब दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स को ही मान्यता मिली है तो 18 माह का कोर्स संचालित कर छात्रों का समय और पैसा क्यों बर्बाद किया जाता है. अगर टीआरई-1 में बचे हुए सीटों पर सप्लिमेंट्री रिजल्ट निकाला जाता तो मेरे जैसे सैकड़ों अभ्यर्थी आज नौकरी कर रहे होते.”

सरकारी नौकरी की चाह रखने वाले अभ्यर्थियों के लिए ‘डोमिसाइल’ जैसे नियम काफी मायने रखते हैं. वह भी तब, जब किसी परीक्षा में बड़ी संख्या में बाहरी छात्र लाभ उठा रहे हो और स्थानीय छात्र हाई कटऑफ के कारण वंचित रह जाए.

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