चुनाव प्रचार के दौरान एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है. विपक्षी पार्टियों या प्रत्याशियों पर आरोप लगाने की होड़ में व्यक्ति आचार संहिता का ध्यान रखना भी भूल जाते हैं. कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के विरासत कर पर दिए गये बयान के बाद पीएम मोदी लगातार कांग्रेस पर हमलावर बने हुए हैं.
21 अप्रैल को PM मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा में कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो लोगों की संपत्ति को, ज्यादा बच्चे वाले लोगों में बांट देगी. साथ पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की उस टिप्पणी का भी जिक्र किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है.
पीएम मोदी (PM Modi) के इसी आरोप पर कांग्रेस ने सोमवार (22 अप्रैल) को इलेक्शन कमिशन में शिकायत दर्ज करवाया. कांग्रेस ने इस बयान को विभाजनकारी, दुर्भावना से भरा और समुदाय विशेष को टारगेट करने वाला बताया था.
वहीं भाजपा ने भी सोमवार (22 अप्रैल) को चुनाव आयोग से कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी देश में गरीबी बढ़ने का झूठा दावा कर रहे हैं. देश को भाषा के आधार पर उत्तर-दक्षिण में बांट रहे हैं.
जिसके बाद चुनाव आयोग (Election Commission) ने दोनों को नोटिस भेजकर जवाब माँगा है.
राहुल ने किया गरीबी बढ़ने का दावा
दरअसल, चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गाँधी अलग-अलग जगहों पर देश में गरीबी बढ़ने का दावा कर रहे हैं. 11 अप्रैल को राजस्थान के बीकानेर चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि देश के 22 करोड़ लोग भारत के 70 करोड़ लोगों से अधिक अमीर हैं. साथ ही उन्होंने कहा था कि अगर उनकी सरकार आती है तो एक झटके में गरीबी को खत्म कर देंगे.
राहुल (Rahul Gandhi) के इस बयान पर भाजपा ने नीति आयोग की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान लगभग 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठे हैं. ऐसे में राहुल गरीबी बढ़ने का झूठा दावा कर रहे हैं.
दोनों पार्टियों ने चुनाव आयोग से शिकायत कर एक्शन लेने का अनुरोध किया था. जिसके बाद चुनाव आयोग ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के बयान पर दोनों पार्टियों के अध्यक्ष से जवाब मांगा है. आयोग ने मोदी और राहुल के भाषणों के खिलाफ की गई शिकायतों पर दोनों पार्टियों को नोटिस भेजा है. इन शिकायतों में आचार संहिता उल्लंघन का आरोप लगाया गया है.
शिकायत में कहा गया है कि ये दोनों नेता धर्म, जाति, समुदाय और भाषा के आधार पर लोगों में नफरत फैलाने और उन्हें बांटने का काम कर रहे हैं. आयोग ने दोनों पार्टियों के अध्यक्ष से इस मामले में 29 अप्रैल सुबह 11 बजे तक जवाब मांगा है.
इलेक्शन कमीशन ने पार्टी अध्यक्ष को ठहराया जिम्मेदार
इलेक्शन कमीशन ने जनप्रतिनिधि कानून के सेक्शन 77 के तहत दोनों पार्टियों के अध्यक्षों को नोटिस भेजा है. आयोग ने स्टार प्रचारकों की फौज उतारने के लिए पहली नजर में पार्टी अध्यक्षों को ही जिम्मेदार ठहराया है.
चुनाव आयोग ने नोटिस में कहा, "अपने प्रत्याशियों के कामों के लिए राजनीतिक दलों को ही पहली जिम्मेदारी उठानी चाहिए. खासतौर पर स्टार कैंपेनर्स के मामले में, ऊंचे पदों पर बैठे लोगों के चुनावी भाषणों का असर ज्यादा गंभीर होता है."