बिहार की पटना साहिब लोकसभा सीट से प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है. बिहार की राजधानी पटना की पटना साहिब लोकसभा सीट भाजपा के कब्जे में शुरुआत से बनी हुई है. बिहार के सातवें चरण में 1 जून को पटना साहिब सीट पर वोटिंग होनी है.
फिलहाल इस सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद सांसद है. भाजपा सांसद ने 2019 के चुनाव में शत्रुघ्न सिन्हा को यहां से मात दी थी. भाजपा के भरोसे पर खरे उतरते हुए रविशंकर प्रसाद ने करीब ढाई लाख वोटों से रवि शंकर प्रसाद को हराया था. 2019 के चुनाव में रविशंकर प्रसाद को 6,07,506 वोट मिले थे, कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार को यहां 3,22,849 वोट मिले थे.
2014 के चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा को पटना साहिब पर 4,85 ,905 वोट मिले थे और कांग्रेस उम्मीदवार कुणाल सिंह को 2,20,100 वोट पटना साहिब की जनता ने दिए थे. 2009 के चुनाव में शत्रुघ्न सिन्हा को 3,16,549 और राजद उम्मीदवार विजय कुमार को 1,49,779 वोट पटना साहिब सीट पर मिले थे.
हालांकि इस सीट से पहले शत्रुघ्न सिन्हा सांसद बने थे. 2009 से भाजपा के साथ मिलकर शत्रुघ्न सिन्हा ने यहां जीत हासिल की थी, लेकिन उन्होंने पार्टी से बगावत कर दी और भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए. लेकिन कांग्रेस में जाते के साथ उन्हें करारी हार मिली थी.
साल 2008 में परिसीमन के बाद लोग पटना साहिब लोकसभा सीट अस्तित्व में आई. पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में कायस्थ वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है. इस सीट पर 5 लाख के करीब कायस्थ वोटर है, जिसके बाद यादव और राजपूत वोटर्स है. वही 6% अनुसूचित जाति के भी वोटर है. 2008 के पहले पटना में केवल पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र था, लेकिन 2008 के बाद दो लोकसभा सीट बनी. पटना में 2008 के बाद एक पाटलिपुत्र और दूसरा पटना साहिब सीट है.
इस चुनाव में महागठबंधन से पटना साहिब सीट भाजपा के खाते में गई है. भाजपा से रवि शंकर प्रसाद फिर से इस सीट पर उम्मीदवार बनाए गए हैं, वही इंडिया गठबंधन से पटना साहिब सीट कांग्रेस के खाते में गई है, जहां से बीते दिनों ही उम्मीदवार का ऐलान हुआ है. कांग्रेस ने यह सीट पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार के बेटे अंशुल अविजित को दी है.