राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव अपनी जन विश्वास यात्रा खत्म कर पटना लौट गए हैं. 20 फरवरी से शुरू हुई इस जन विश्वास यात्रा के दौरान तेजस्वी यादव बिहार के सभी जिलों से गुजरे, जिस दौरान उन्होंने करीब 3000 किलोमीटर की यात्रा की.
गुरुवार को ही तेजस्वी यादव की यात्रा का आखिरी दिन था, जिसके बाद अब गांधी मैदान में राजद पार्टी जनविश्वास महारैली की तैयारी में लगी हुई है. लालू यादव ने बिहारवासियों को रविवार के दिन पटना पहुंचने की अपील की है. लालू यादव ने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर ट्वीट करते हुए लिखा है कि एक बिहार, एक संदेश है. चलो पटना पहुंचे. तेजस्वी यादव ने भी अपनी जन विश्वास यात्रा के दौरान लोगों से अपील किया था कि लालू यादव ने आप सभी को पटना बुलाया है.
महारैली में कई दिग्गज नेताओं के जुटने की उम्मीद
तेजस्वी यादव के इस महारैली में कई दिग्गज नेता के जुटने की बात कही जा रही है. भाकपा-माले के कार्यकर्ता और समर्थक आज से ही गांधी मैदान में डेरा डालने के लिए पहुंच रहे हैं.
पार्टी की तैयारी को लेकर राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि यह बिहार की राजनीति में एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में याद रहेगा. जन विश्वास यात्रा के दौरान लोगों ने तेजस्वी यादव को गजब का उत्साह दिखाया और तेजस्वी यादव में अपना विश्वास भी जताया. कई बार 12 घंटे लेट होने पर भी समर्थक और कार्यकर्ताओं अपने नेता के इंतजार में खड़े रहे. चितरंजन गगन ने आगे कहा कि तेजस्वी यादव के निमंत्रण पर अब बिहार भर के लोग 3 मार्च को गांधी मैदान पहुचेंगे. इस आयोजित रैली में राज्य के कोने-कोने से लोग आएंगे और किसी को भी आने-जाने की कोई परेशानी नहीं होगी. इसको लेकर पार्टी ने विशेष काम किया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता लगातार रैली की तैयारी की समीक्षा में लगे हुए हैं.
महारैली का रंग दिखना शुरू
तेजस्वी यादव के इस महारैली का रंग आज से ही दिखना शुरू हो गया है. पटना के प्रमुख जगहों पर तोरणद्वार, होर्डिंग, झंडा, बैनर, पोस्टर लगाए गए हैं. पटना जंक्शन, राजेंद्र नगर टर्मिनल, पाटलिपुत्र और दानापुर रेलवे स्टेशन पर भी स्वागत कक्ष बनाए गए हैं. इसके अलावा गांधी मैदान के इलाके में चारों ओर महागठबंधन के पोस्टर लगाए गए हैं.
तेजस्वी यादव के पहले उनके पिता और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने 1995 में गरीब रेला का आयोजन किया था. इस आयोजन को भी गांधी मैदान में कराया गया था. तब के समय में जैसी भीड़ गांधी मैदान में जुटी थी वैसी रैली में आज तक नहीं जुट नहीं पाई है. 2003 में लालू यादव ने लाठी रैली, 2007 में चेतावनी रैली, 2012 में परिवर्तन रैली और 2017 में महागठबंधन रैली भी की थी.