भारतीय महिलाओं के पहनावे में साड़ियां खास स्थान रखती हैं. किसी भी खास अवसर पर महिलाएं साड़ी पहनना पसंद करती हैं. खासकर शादियों में साड़ी पहनने और देने का रिवाज रहा है. एक समय था जब बिहार में सिल्क (silk in Bihar) साड़ियों में भागलपुरी सिल्क (Bhagalpur silk) का खास स्थान हुआ करता था. लोग इसकी खरीदारी करने दूर-दूर से भागलपुर तक जाया करते थें.
लेकिन भागलपुरी सिल्क के उत्पादन में लगे बुनकरों को बाजार और उनके मेहनत का सही दाम नहीं मिलने के कारण यहां का कारोबार मंदा होता जा रहा है. सिल्क बुनकर के रूप में काम करने वाले कारीगरों की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है. वे अपने पुरखों का काम छोड़कर अब बड़े शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं.
भागलपुर में 25 हजार से ज्यादा बुनकर परिवार जुड़ा हुआ है. भागलपुरी सिल्क की खासियत है कि वो आधुनिकता के साथ-साथ अपनी पुरानी सभ्यता को भी अपने में समेटे हुए है. यहां के बुनकर सिल्क के कपड़े से साड़ियों के साथ-साथ, दुपट्टा, सूट-सलवार, कुर्ता, शॉल यहां तक की चादर का कपड़ा हाथ से बुनकर तैयार करते हैं. भागलपुरी सिल्क बहुत ही हल्की, मुलायम और आरामदायक होती है. अपने बुनावट और गुणवत्ता के कारण इसकी मांग देश में हीं नहीं विदेशों में भी है.
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