दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. मंगलवार (9 अप्रैल) को केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया है. दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने केजरीवाल की गिरफ़्तारी को सही ठहराया है. हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि ED ने कोर्ट के सामने पर्याप्त सबूत पेश किया है. कोर्ट ने कहा ED द्वारा पेश किये गये बयानों से पता चलता है कि गोवा चुनाव के लिए पैसा भेजा गया था.
कोर्ट ने सरकारी गवाहों पर के बयान पर शक जताने को कोर्ट की अवमानना जैसा माना और कहा- सरकारी गवाहों के बयान किस तरह रिकॉर्ड किए, इस बात पर शक करना कोर्ट और जज पर कलंक लगाने जैसा है. ये 100 साल पुराना कानून है, ना कि एक साल पुराना कि याचिकाकर्ता को फंसाने के लिए इसका गलत इस्तेमाल किया गया.
रिमांड पर भेजने का फैसला कायम
हाईकोर्ट ने अपने केजरीवाल को रिमांड (Arvind Kejriwal Remand) पर भेजने का फैसला कायम रखा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अप्रैल को हुई सुनवाई में उन्हें 15 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. ED ने केजरीवाल को 21 मार्च को उनके आवास से गिरफ्तार किया था. 22 मार्च को ED ने केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया था जहां से कोर्ट ने उन्हें 28 मार्च तक ED की रिमांड पर भेज दिया था. जिसे बाद में 1 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया.
कोर्ट ने केजरीवाल को फटकार लगाते हुए कहा कि- आम आदमी के लिए भले ही वो मुख्यमंत्री क्यों ना हो, विशेष सुविधा नहीं दी जा सकती. कोर्ट ने कहा आरोपी की सुविधा के मुताबिक जांच नहीं की जा सकती. दरअसल केजरीवाल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पूछताछ करने की मांग की थी. कोर्ट ने इस मांग को खारिज करते हुए कहा “यह दावा कि केजरीवाल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ की जा सकती है, इसे खारिज किया जाता है. ये आरोपी तय नहीं करेगा कि जांच किस तरह की जाए.
100 साल पुराना कानून है- जज कानून से बंधे हैं, ना कि राजनीति से
कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा ED दवार पेश किये गये सबूत से पता चलता है कि केजरीवाल इस साजिश में पूरी तरह से शामिल थे. जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कहा कि- राघव मुंगटा और शरथ रेड्डी के बयान PMLA के तहत रिकॉर्ड किए गए. ईडी ने खुलासा किया कि केजरीवाल आम आदमी पार्टी के संयोजक के तौर पर भी इस मामले में शामिल थे.
ED पर फंसाने के आरोप पर कोर्ट ने कहा यह100 साल पुराना कानून है, ना कि एक साल पुराना कि याचिकाकर्ता को फंसाने के लिए इसका गलत इस्तेमाल किया गया है. कोर्ट ने चुनावी टिकट और इलेक्टोरल बॉन्ड के दलीलों को भी नकार दिया. कोर्ट ने कहा यह हम नहीं देखेंगे.
चुनावी समय में केजरीवाल की गिरफ्तारी पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा- गिरफ्तारी और रिमांड की जांच कानून के हिसाब से होगी, ना कि चुनाव की टाइमिंग को देखकर.कोर्ट ने कहा केजरीवाल भी चुनाव की तारीखों से पक्के तौर वाकिफ होंगे. उन्हें पता होगा कि इलेक्शन कब होने हैं. इसलिए ऐसा नहीं कहा जा सकता कि गिरफ्तारी का वक्त ED ने तय किया है.
हाईकोर्ट ने कानूनी फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा- जज कानून से बंधे हैं, ना कि राजनीति से. फैसले कानूनी सिद्धांतों पर दिए जाते हैं, ना कि राजनीतिक सुझावों पर. कोर्ट राजनीति की दुनिया में दखल नहीं दे सकता.